उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में सरकारी भूमि से अवैध अतिक्रमण को हटाने की प्रगति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सरकारी जमीनों को अतिक्रमण मुक्त बनाए रखने के लिए एक मजबूत और टिकाऊ मैकेनिज्म तैयार किया जाए।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि पूर्व में दिए गए अतिक्रमण हटाने संबंधी निर्देशों का जिला स्तर पर कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने सिंचाई, लोक निर्माण, वन और राजस्व विभाग की संयुक्त टीमें गठित कर अभियान चलाने को कहा, ताकि सरकारी जमीनों की अवैध कब्जेदारी पर रोक लगाई जा सके।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए अवैध बिक्री और कूटरचित दस्तावेजों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। राज्य के मैदानी क्षेत्रों में अतिक्रमण की निगरानी हेतु शासन स्तर पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें।उन्होंने हरिद्वार, रुद्रपुर और नैनीताल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अतिक्रमण पर विशेष निगरानी रखी जाए। साथ ही बाहरी लोगों के सत्यापन नियम और अधिक कड़े किए निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने एडीजीपी श्री ए.पी. अंशुमान को निर्देशित किया कि राज्य में बाहरी व्यक्तियों के सत्यापन को व्यवस्थित और सख्त प्रक्रिया के तहत किया जाए। इस पर एडीजीपी ने अवगत कराया कि 18 बिंदुओं पर सत्यापन की रिपोर्ट मांगी जा रही है, जिसका डेटा राज्य स्तर पर संकलित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने अंत में यह दोहराया कि सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि यह जनहित के खिलाफ भी है। उन्होंने इस पर ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ अपनाने का संकेत देते हुए, संबंधित अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिए।
बैठक में प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव एस.एन. पांडेय, एडीजीपी ए.पी. अंशुमान, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव बंशीधर तिवारी आदि अधिकारी मौजूद रहे।