विश्व प्रसिद्ध धाम श्री बदरीनाथ के कपाट आज अपराह्न 2 बजकर 56 मिनट पर विधि-विधान के साथ शीतकाल हेतु बंद कर दिए गए। सेना के बैंड की मधुर धुन, मंत्रोच्चार और जय बदरीविशाल के उद्घोषों के बीच पूरे परिसर में भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस पावन क्षण के साक्षी बनने के लिए पांच हजार से अधिक श्रद्धालु धाम में उपस्थित रहे।
ब्रह्म मुहूर्त में शुरू हुई पूजा-अर्चना
कपाट बंद होने की प्रक्रिया सुबह ब्रह्म मुहूर्त से आरंभ हुई। रावल, धर्माधिकारी और वेदपाठियों ने शास्त्रोक्त विधान से पूजा-अर्चना सम्पन्न कराई।
इस पावन अवसर पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज, दंडी स्वामी मुकुंदानंद महाराज, बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी, उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, विजय कप्रवान एवं मुख्य कार्याधिकारी/कार्यपालक मजिस्ट्रेट विजय प्रसाद थपलियाल भी उपस्थित रहे।
शीतकालीन प्रवास हेतु होगी देव प्रतिमाओं की यात्रा
बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि परंपरा के अनुसार 26 नवंबर को श्री कुबेर जी, उद्धव जी और रावल जी सहित आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी शीतकालीन प्रवास के लिए पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी।
शीतकाल में उद्धव जी और कुबेर जी की गद्दी पांडुकेश्वर में ही विराजमान रहेंगी।
इसके बाद 27 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर, ज्योतिर्मठ के लिए प्रस्थान करेगी। इससे पहले परंपरा के अनुसार श्री गरुड़ जी भी ज्योतिर्मठ पहुंच जाएंगे।
अगले छह माह शीतकालीन धाम में होंगे दर्शन
उल्लेखनीय है कि बदरीनाथ धाम के शीतकाल के लिए बंद होने के बाद अगले छह माह तक श्रद्धालु भगवान बदरीविशाल के दर्शन ज्योतिर्मठ स्थित नृसिंह मंदिर में कर सकेंगे।
