Uttarakhand:  प्रेम और प्रेरणा की शाम, कहानी ने दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों में जगाई नई उम्मीद

लतिका फाउंडेशन के वसंत विहार केंद्र में मंगलवार शाम आयोजित एन इवनिंग विद मोय मोय सर्कल कार्यक्रम प्रेम, साहस और संवेदना का एक प्रेरणा महोत्सव बन गया। लेखिका सुचित्रा शेनॉय की पुस्तक मोय मोय सर्कल ए ट्रू स्टोरी ऑफ लव, डिसेबिलिटी एंड द वर्ल्ड वी कैन बिल्ड टुगेदर से अंश पाठ के दौरान माहौल भावनाओं से भर गया।

कार्यक्रम में मौजूद दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों की आंखों में उम्मीद और विश्वास की चमक दिखी। कई अभिभावकों ने कहा कि यह कहानी उन्हें यह एहसास कराती है कि वे अपने संघर्षों में अकेले नहीं हैं। एक अभिभावक ने कहा, मॉय मॉय की कहानी सुनकर हमें बहुत हिम्मत मिली है। यह जानना कि किसी ने इस राह पर चलकर इतना बड़ा बदलाव लाया, हमारे बच्चों के भविष्य के लिए हमें नई प्रेरणा देता है।

लेखिका सुचित्रा शेनॉय ने अपने पाठ के दौरान बताया कि यह पुस्तक सिर्फ मॉय मॉय की नहीं, बल्कि हर उस परिवार की कहानी है जो दिव्यांगता की चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा,मॉय मॉय की विरासत देखभाल और करुणा की है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य इस विरासत को आगे बढ़ाना और यह संदेश देना है कि हर परिवार के चारों ओर एक ‘सर्किल’ यानी सहयोगी समुदाय मौजूद है।

इस अवसर पर लतिका फाउंडेशन की संस्थापक जो चोपड़ा मैकगोवन ने कहा कि लतिका फाउंडेशन की शुरुआत 30 वर्ष पहले केवल तीन बच्चों के साथ हुई थी और आज यह संस्था हजारों बच्चों और उनके परिवारों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला रही है।

कार्यक्रम में बताया गया कि पुस्तक की बिक्री से प्राप्त सभी रॉयल्टी लतिका फाउंडेशन के कार्यों को समर्पित की जाएगी, ताकि मॉय मॉय का सपना – एक समावेशी और संवेदनशील समाज – साकार होता रहे। दिव्यांग बच्चों के 120 अभिभावकों के अलावा ममता गोविल, सुमिता नंदा, डॉ. आरती, ओजस्विता, संजय सिंह, गरिमा सेन सहित शहर की कई जानी-मानी हस्तियां उपस्थित रहीं। सभी ने लेखिका की प्रस्तुति और संस्था के योगदान की सराहना की। शाम इस बात का प्रमाण बनी कि कैसे एक सच्ची कहानी दिलों को जोड़ सकती है, आँसुओं को पोंछ सकती है और समाज को अधिक मानवीय और दयालु बनाने की प्रेरणा दे सकती है।

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