माघ गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी से प्रारंभ होने जा रहे है। गुप्त नवरात्रि में मां आदि शक्ति के नौ स्वरूपों की गुप्त रूप से पूजा का विधान है। हिन्दू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व है।
साल में चार नवरात्रि होती है। जो चौत्र, अश्विन, आषाढ़, और माघ माह में पड़ती है। पंचांग के अनुसार माघ गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी शनिवार से प्रारंभ होगी और इसका समापन फरवरी रविवार को होगा। गुप्त नररात्रि में साधक देवी मांग की 10 महाविद्याओं की गुप्त रूप से साधना कर उनका अशीर्वाद प्राप्त करते है। उपासकों के लिए यह श्रेष्ठ माना जाता है। इन 10 महाविद्याओं में काली, तारा, छिनमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मांतगी या कमला शामिल है।
गुप्त नवरात्रि का महत्व
गुप्त नवरात्र हिंदुओं के बीच एक बड़ा धार्मिक महत्व रखती है। ये नौ दिन पूरी तरह से देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित हैं। साल में चार बार नवरात्र आती है जब भक्त सच्चे भाव के साथ मां दुर्गा की पूजा करते हैं। इस दौरान मां दुर्गा की गुप्त तरीके से पूजा की जाती है और इसका सीधा संबंध तंत्र विद्या से है। गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी शक्ति के 32 अलग-अलग नामों का जाप, ‘दुर्गा सप्तशती’, ‘देवी महात्म्य’ और ‘श्रीमद्-देवी भागवत’ जैसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना सभी समस्याओं को समाप्त करता है और जीवन में शांति प्राप्त करने में मदद करता है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में गई साधना जन्मकुंडली के समस्त दोषों को दूर करने वाली और धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष देने वाली होती है।
गुप्त नवरात्रि पूजा विधि
गुप्त नवरात्रों में माता आद्य शक्ति के समक्ष शुभ समय पर घट स्थापना की जाती है जिसमें जौ उगने के लिये रखे जाते है। इस के एक और पानी से भरा कलश स्थापित किया जाता है। कलश पर कच्चा नारियल रखा जाता है। कलश स्थापना के बाद मां भगवती की अंखंड ज्योति जलाई जाती है. भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। उसके बाद श्री वरूण देव, श्री विष्णु देव की पूजा की जाती है। शिव, सूर्य, चन्द्रादि नवग्रह की पूजा भी की जाती है। उपरोक्त देवताओं कि पूजा करने के बाद मां भगवती की पूजा की जाती है। नवरात्रों के दौरान प्रतिदिन उपवास रख कर दुर्गा सप्तशती और देवी का पाठ किया जाता है।