धर्मनगरी हरिद्वार की पवित्र हर की पैड़ी पर सोमवार शाम कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर देव दीपावली का भव्य आयोजन किया गया। मां गंगा की अविरल धारा के किनारे दीपों की अनगिनत लौ ने ऐसा दृश्य प्रस्तुत किया कि पूरा तट दिव्य और स्वर्गिक आभा से आलोकित हो उठा।
सांध्य आरती के समय जब श्रद्धालुओं ने ‘हर हर गंगे’ और ‘जय मां गंगे’ के जयकारों के साथ दीप प्रवाहित किए, तो गंगा की लहरों पर तैरते दीप मानो आस्था का सागर बन गए। गंगा सभा, तीर्थ पुरोहितों और श्रद्धालुओं ने मिलकर घाटों पर हजारों दीप जलाए, जिससे हर की पैड़ी सुनहरी रोशनी में नहाई नजर आई।
इस दौरान रंग-बिरंगी आतिशबाजी ने कार्यक्रम की शोभा को और बढ़ा दिया। पूरा गंगाघाट दीपों की कतारों से सजा था, और भक्तों के चेहरे पर श्रद्धा और भक्ति की चमक दिखाई दे रही थी।
देव दीपावली केवल दीपों का पर्व नहीं, बल्कि यह आस्था और आत्मशुद्धि का संदेश देता है। जब दीप गंगा में प्रवाहित होते हैं, तो वे हर मनोकामना की पूर्ति और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक बन जाते हैं। हरिद्वार में इस आयोजन का उद्देश्य है कि हर व्यक्ति अपने भीतर के अज्ञान और नकारात्मकता के अंधकार को मिटाकर श्रद्धा, सेवा और प्रकाश का दीप जलाए।
श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर दीपदान किया और मां गंगा से परिवार की सुख-समृद्धि और राष्ट्र की उन्नति की कामना की।
रात ढलते ही हर की पैड़ी से लेकर आसपास के घाटों तक दीपों की पंक्तियां ऐसे जगमगाईं कि मानो धरती पर तारों की नदी बह रही हो। हरिद्वार की यह देव दीपावली एक बार फिर भक्ति, संस्कृति और सौंदर्य का अद्भुत संगम बन गई।
