भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के तहत उत्तराखंड में पिछले छह वर्षों से चुनावी प्रक्रिया से अनुपस्थित छह पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। आयोग ने इन दलों को 21 जुलाई 2025, शाम 5 बजे तक जवाब देने का निर्देश दिया है, अन्यथा उनके पंजीकरण को रद्द करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
इन दलों को लेकर आयोग ने पाया कि इन्होंने वर्ष 2019 से अब तक किसी भी प्रकार के चुनाव में भाग नहीं लिया है और इनके कार्यालयों का कोई भौतिक अस्तित्व भी दर्ज नहीं है। ऐसे में इन दलों की वैधता पर सवाल उठते हैं।
उत्तराखंड में वर्तमान में कुल 42 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं, जिनमें से कई संगठन निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं कर रहे हैं। आयोग की राज्यस्तरीय समीक्षा में 6 दलों की पहचान की गई है, जो आरयूपीपी के तौर पर पंजीकृत रहने की योग्यता खो चुके हैं। इन दलों की अंतिम डीलिस्टिंग का निर्णय भारत निर्वाचन आयोग ने लिया जाएगा।
नोटिस प्राप्त राजनीतिक दलों की सूची।
जनक्रांति पार्टी – 12/17 चक्खुवाला, देहरादून
हमारी जनमंच पार्टी – 1/12 न्यू चक्खुवाला, देहरादून
मैदानी क्रांति दल – मस्जिद वाली गली, माजरा, देहरादून
प्रजा मंडल पार्टी – बर्थवाल निवास, शीतला माता मंदिर मार्ग, लोवर भक्तियाना, श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल
राष्ट्रीय ग्राम विकास पार्टी – 62, सिविल लाइन, रुड़की, हरिद्वार
राष्ट्रीय जन सहाय दल – 112, न्यू कनॉट प्लेस, देहरादून।
देश में राजनीतिक दलों का पंजीकरण लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत किया जाता है। भारत निर्वाचन आयोग का उद्देश्य इस प्रकार की कार्रवाई के माध्यम से राजनीतिक व्यवस्था का शुद्धिकरण और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।
यह कदम न केवल चुनावी प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाएगा, बल्कि फर्जी, निष्क्रिय या अपारदर्शी दलों के माध्यम से चुनावी लाभ लेने की प्रवृत्ति पर भी रोक लगाएगा।