पंचकेदारों में तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के कपाट आज पूर्वाह्न 11:30 बजे विधिवत पूजा-अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह डोली अपने शीतकालीन प्रवास मक्कू मठ के लिए रवाना हुई, जिसका प्रथम पड़ाव चोपता में रहेगा।
कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया था। पूरा परिसर भक्तिमय वातावरण में गूंज उठा। हर-हर महादेव और जय तुंगनाथ के जयघोष के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान तुंगनाथ के दर्शन किए और पूजा-अर्चना में भाग लिया।
इस अवसर पर पांच सौ से अधिक श्रद्धालु मंदिर परिसर में मौजूद रहे। सभी ने भगवान से प्रदेश और देश की सुख-समृद्धि की कामना की। ठंडी हवाओं और ऊंचाई पर बढ़ती सर्दी के बावजूद भक्तों का उत्साह देखने योग्य था।
मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि कपाट बंद होने की प्रक्रिया परंपरागत विधि से सम्पन्न हुई। तुंगनाथ धाम में पूजा-अर्चना के बाद चल विग्रह डोली पुष्पों और भक्ति गीतों के बीच चोपता के लिए प्रस्थान कर गई। डोली अगले कुछ दिनों में अपने शीतकालीन गंतव्य मक्कू मठ पहुंचेगी, जहां आगामी छह माह तक भगवान तुंगनाथ की पूजा की जाएगी।
बता दें कि श्री तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 12,073 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह विश्व का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। हर वर्ष सर्दियों के आगमन पर कपाट बंद होने के बाद देवता की पूजा चमोली जनपद के मक्कू मठ में की जाती है।
कपाट बंद होने के साथ ही तुंगनाथ धाम का शीतकालीन अध्याय आरंभ हो गया है। श्रद्धालु अब मक्कू मठ में जाकर भगवान तुंगनाथ के दर्शन और पूजा-अर्चना कर सकेंगे।
