हिमालय की गोद में समुद्रतल से लगभग 15 हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित श्री हेमकुंट साहिब और पौराणिक श्री लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट आज दोपहर 1:30 बजे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने की प्रक्रिया पवित्र मंत्रोच्चारण, अरदास और शबद-कीर्तन के बीच संपन्न हुई।
हिन्दू-सिख आस्था का संगम स्थल
चमोली जनपद में स्थित यह स्थल न केवल एक पूजनीय तीर्थ है, बल्कि हिन्दू और सिख आस्था के संगम का प्रतीक भी है।
श्री हेमकुंट साहिब का संबंध दशमेश पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी की तपस्थली से माना जाता है, वहीं समीप स्थित श्री लोकपाल लक्ष्मण मंदिर भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण जी की तपस्या स्थली के रूप में प्रसिद्ध है।
इस वर्ष श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड संख्या
इस वर्ष 25 मई 2025 से प्रारंभ हुई हेमकुंट यात्रा ने श्रद्धालुओं की संख्या के सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए।
यात्रा सीजन के दौरान 2 लाख 75 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र स्थल के दर्शन किए जो श्रद्धा, भक्ति और विश्वास का प्रतीक है।
कपाट बंद होने का भावनात्मक क्षण
कपाट बंद होने के अवसर पर गोविंद धाम (घांघरिया) से करीब चार हजार श्रद्धालु पवित्र स्थल पहुंचे। इस दौरान अमृतसरी रागी जत्थे द्वारा शबद कीर्तन और सुखमणि साहिब पाठ का आयोजन हुआ। अंतिम अरदास के उपरांत श्रद्धालुओं ने नम आंखों से श्री हेमकुंट साहिब के कपाट बंद होते देखे।
प्रकृति की गोद में दिव्यता का अद्भुत संगम
आसमान में झांकती हल्की धूप, बर्फ से ढकी सप्तश्रृंग घाटी और चारों ओर गूंजते भक्ति गीतों ने इस क्षण को और अधिक दिव्य और भावनात्मक बना दिया। भारतीय सेना के बैंड की मधुर धुनों ने पूरे वातावरण को शौर्य और भक्ति के स्वर से भर दिया।
अब अगले वर्ष श्रद्धालुओं का होगा स्वागत
श्री हेमकुंट साहिब और श्री लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट अब अगले वर्ष ग्रीष्मकाल में निर्धारित तिथि पर पुनः श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोले जाएंगे।
प्रदेश सरकार और हेमकुंट ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए इस वर्ष किए गए सफल प्रबंधन पर संतोष जताया और अगले वर्ष के लिए तैयारियों की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी है।