Uttarakhand: उषा उत्थुप ने बिखेरा आवाज का जादू, पॉप गानों पर झूमे लोग

ओएनजीसी के डॉ.भीमराव अंबेडकर स्टेडियम में निरंतर 15 दिन तक चले विरासत महोत्सव-2024 का आज खूबसूरत यादों के साथ समापन हो गया है I इस दौरान लोगों ने मेले में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भरपूर आनंद लिया। माय जमकर खरीदारी भी की।

मंगलवार की संध्या में महान संगीतकार एवं विश्व भर में अपना नाम ऊंचा रखने वाली उषा उत्थुप ने अपनी प्रस्तुति दी। संगीत के ‘सुरों’ को धरातल पर बिखेरने और ‘विरासत की महफिल’ में सुर-संगम का लयबद्ध वातावरण घोलने वाली मशहूर कलाकार उषा उत्थुप ने अपनी शानदार प्रस्तुति से महफिल में चार-चांद लगा दिए।

उषा उथुप ने विरासत के इस मंच पर अपनी जिस टीम के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया। उसमें ऑक्टोपैड पर अमल रॉय, बास गिटार पर नेपाल शॉ, कीबोर्ड पर शुभोजीत धर, लीड गिटार पर संपद सामंत, साउंड इंजीनियर गौतम बसु, संगीत निर्देशक समरीश कर्माकर शोभायमान रहे। कर्यक्रम के दौरान उन्होंने आंखें धोखा खाती हैं ये किसी को पता नहीं और दम मारो दम मिट जाए ग़म बोलो सुबह शाम हरे कृष्णा हरे राम जैसे पॉप गीतों पर लोग झूम उठे।

उषा उत्थुप ने 54 से अधिक वर्षों तक संगीत के माध्यम से सीमाओं को पार किया है और संगीत के माध्यम से प्रेम और एकता, शांति और सद्भाव, सहिष्णुता और अखंडता और खुशी का संदेश फैलाया है। भारत और दुनिया भर में डिस्कोथेक से लेकर संगीत समारोहों तक उन्होंने युवाओं को संगीत के उन मूल्यों के बारे में बताया है जो हमें मानव बनाते हैं।

वह अपने विश्वास के अनुसार जीती हैं, पारंपरिक परिधानों में सजे सबसे समकालीन गीतों को भी प्रस्तुत करती हैं, जो इस तथ्य को दर्शाते हैं कि भारत अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान के साथ विश्व संस्कृतियों का एक सच्चा मिश्रण है। वह एक पारंपरिक मध्यम वर्गीय दक्षिण भारतीय परिवार से आती हैं।

उनका करियर 1969 में चेन्नई के नाइट क्लब नाइन जेम्स से शुरू हुआ और उन्होंने सौ से अधिक एल्बम रिकॉर्ड किए हैं। वह सत्रह भारतीय भाषाओं और आठ विदेशी भाषाओं में गाती हैं। उषा की धुन एक सार्वभौमिक भाषा बोलती है और धर्म, नस्ल, राष्ट्रीयता और जाति से परे है।

उन्होंने दूर-दराज की संस्कृतियों में लोगों को एक भारतीय महिला की एक अप्रत्याशित छवि दी है I वे मजबूत, स्वतंत्र, विनोदी, बुद्धिमान और प्रतिभा से भरपूर मिजाज अपने भीतर रखती हैं। उन्होंने मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के लिए काम किया है, जिसमें प्रेम दान, शिशु भवन, कालीघाट, कोलकाता में मरने वालों के लिए घर के लिए धन जुटाया है।

गीत के माध्यम से दुनिया के समुदायों को एक साथ लाने के लिए योगदान के लिए उन्हें केन्या की कुंजी से सम्मानित किया गया। उन्होंने स्पास्टिक्स एसोसिएशन, लेप्रोसैरियम के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है और देश भर में कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के लिए घर का समर्थन किया है I

अनेक गैर सरकारी संगठनों और सरकार के साथ कैंसर, एड्स, महिला तस्करी, बाल शोषण के लिए अनुसंधान का समर्थन किया है I एड्स के लिए रिचर्ड गेरे फाउंडेशन के साथ काम किया है। महिलाओं के सशक्तिकरण से संबंधित गैर सरकारी संगठनों के साथ काम करने का सौभाग्य भी उनको मिला है I

    

 

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