उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर शासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए भारत सरकार की ओर से विकसित एकीकृत उच्च शिक्षा समर्थ पोर्टल के संचालन का अधिकार राज्य विश्वविद्यालयों को पूर्ण रूप से सौंप दिया है। इस संबंध में शासन स्तर से आदेश जारी कर दिया गया है। अब राज्य विश्वविद्यालय अपने-अपने स्तर पर छात्र-छात्राओं के प्रवेश, परीक्षा और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों का संचालन कर सकेंगे।
शासनादेश के अनुसार समर्थ पोर्टल के संचालन की संपूर्ण जिम्मेदारी कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय टिहरी और सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा को तत्काल प्रभाव से सौंपी गई है। पोर्टल के सुचारू संचालन की जवाबदेही संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव की होगी। यह जिम्मेदारी किसी अन्य एजेंसी को हस्तांतरित नहीं की जा सकेगी।
अब तक समर्थ पोर्टल का संचालन शासन स्तर पर राज्य समर्थ टीम (एनईपी-पीएमयू) के माध्यम से किया जा रहा था, जिससे छात्र-छात्राओं को प्रवेश और अन्य प्रक्रियाओं में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। विश्वविद्यालयों को अधिकार मिलने के बाद स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्रवेश, परीक्षा और शैक्षणिक गतिविधियों का संचालन अपने स्तर पर किया जाएगा।
शासन ने निर्देश दिए हैं कि सभी विश्वविद्यालय समर्थ पोर्टल के सभी मॉड्यूल का समयबद्ध संचालन सुनिश्चित करेंगे। प्रत्येक माह पोर्टल की समीक्षा कर उसकी रिपोर्ट शासन को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराई जाएगी। छात्र-छात्राओं के प्रवेश के लिए पोर्टल खोलने से कम से कम सात दिन पहले विश्वविद्यालय अपनी आधिकारिक वेबसाइट, समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से सूचना प्रसारित करेंगे। साथ ही शासन को भी इसकी जानकारी दी जाएगी।
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में केवल समर्थ पोर्टल का ही उपयोग किया जाएगा। वर्तमान में संचालित सभी ईआरपी और पोर्टल का डाटा 31 मार्च 2026 तक समर्थ पोर्टल पर अनिवार्य रूप से अपलोड करना होगा। इसके बाद किसी भी अन्य ईआरपी या पोर्टल का संचालन अथवा भुगतान नहीं किया जाएगा।
इसके अलावा शासन ने सभी राजकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए हैं कि वे अपना एकेडमिक कैलेंडर तैयार कर 31 मई 2026 तक कार्यपरिषद से अनुमोदित कराएं। प्रत्येक सेमेस्टर में न्यूनतम 90 दिनों तक कक्षाओं का संचालन और 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी, जिसका विवरण समर्थ पोर्टल पर अपलोड करना होगा। मानकों को पूरा न करने वाले छात्र-छात्राओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि समर्थ पोर्टल का संचालन राज्य विश्वविद्यालयों को सौंपे जाने से छात्र-छात्राओं को सीधा लाभ मिलेगा। एकेडमिक कैलेंडर, कक्षा संचालन और उपस्थिति की पारदर्शी व्यवस्था से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और व्यवस्था अधिक जवाबदेह बनेगी।
