पंचकेदारों में से एक चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट सोमवार सुबह शीतकाल के लिए विधिवत रूप से बंद कर दिए गए। पौराणिक परंपरा और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सुबह लगभग 6 बजे भगवान रुद्रनाथ के कपाट भक्तों के जयकारों के साथ बंद हुए। इसके साथ ही केदारखंड क्षेत्र की ऊंची पहाड़ियों में भगवान शिव की यात्रा का ग्रीष्मकालीन अध्याय समाप्त हो गया।
कपाट बंद होने के बाद रुद्रनाथ की उत्सव डोली भक्तों और पुजारियों की अगुवाई में शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर (गोपेश्वर) के लिए रवाना हुई। डोली यात्रा के दौरान मार्ग में विभिन्न स्थलों पर श्रद्धालुओं ने फूलों और भजनों के साथ भगवान रुद्रनाथ का स्वागत किया।
जानकारी के अनुसार, मंदिर परिसर में कपाट बंद होने से पहले सुबह विशेष पूजा-अर्चना, रुद्राभिषेक और आरती का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मंदिर समिति के सदस्य, पुजारी, तीर्थ यात्री और स्थानीय श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
रुद्रनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 11,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां भगवान शिव प्राकृतिक शिलारूप में मुखमंडल के रूप में विराजमान हैं। हर वर्ष अक्टूबर-नवंबर में यहां के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं और लगभग छह माह बाद मई-जून में पुनः खुलते हैं।
मंदिर समिति के अनुसार, कपाट बंद होने के बाद अब रुद्रनाथ भगवान की पूजा-अर्चना गोपीनाथ मंदिर, गोपेश्वर में पूरे शीतकाल के दौरान की जाएगी।
स्थानीय प्रशासन ने यात्रियों की सुरक्षा और मार्ग की व्यवस्थाओं के लिए विशेष प्रबंध किए थे। कपाट बंद होने के साथ ही अब रुद्रनाथ धाम क्षेत्र में मौसम ठंडा और बर्फबारी की स्थिति में प्रवेश कर चुका है।