श्रावण मास की पावन कांवड़ यात्रा के बीच पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, त्याग और समर्पण की अनूठी मिसाल सामने आई है, जिसने हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं का मन छू लिया। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के मोदीनगर से आई आशा, अपने दिव्यांग पति सचिन को कंधे पर बैठाकर हरिद्वार के मंदिरों के दर्शन करवा रही हैं।
15 सालों से निभा रहे भक्ति, अब पत्नी ने उठाई जिम्मेदारी
38 वर्षीय सचिन पिछले 15 वर्षों से लगातार हरिद्वार से कांवड़ लाते रहे, लेकिन एक साल पहले बीमारी के कारण उनके शरीर ने चलने की ताकत खो दी। पिछले वर्ष कांवड़ यात्रा में शामिल न हो पाने की पीड़ा को समझते हुए 28 वर्षीय पत्नी आशा ने यह संकल्प लिया कि वह इस बार अपने पति को कंधे पर बैठाकर यात्रा पूरी करेंगी।
170 किलोमीटर की पदयात्रा का दृढ़ निश्चय
आशा का बताया मुझे विश्वास है कि मैं इसी तरह अपने पति को कंधे पर लेकर हर की पैड़ी से गंगाजल भरने के बाद 170 किलोमीटर की पैदल यात्रा सफलतापूर्वक पूरी करूंगी। यह सिर्फ आस्था नहीं, प्रेम और समर्पण की परीक्षा भी है।”
हरिद्वार के दक्षेश्वर महादेव मंदिर समेत कई स्थानों पर इस जोड़ी को देखकर लोग भावुक हो उठते हैं और जय भोलेनाथ के जयकारों के साथ उनकी हिम्मत को सलाम करते हैं।
श्रद्धालुओं में बनी प्रेरणा का स्रोत
यह जोड़ी न केवल कांवड़ियों के बीच, बल्कि हरिद्वार के स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच भी प्रेरणा का स्रोत बन गई है। भक्तजनों का कहना है कि आशा का यह समर्पण भगवान भोलेनाथ की सच्ची भक्ति का उदाहरण है।
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