आगामी 23 सितंबर से शुरू होने वाली चंडिका देवी की देवरा यात्रा को लेकर तैयारियाँ जोरो पर हैं। यह परंपरागत धार्मिक यात्रा गंगा नदी के किनारे बसे 27 गांवों की ओर से हर वर्ष आयोजित की जाती है, और क्षेत्र की गहरी सांस्कृतिक आस्था का प्रतीक है।
शुक्रवार को यात्रा उत्सव के तहत, माता चंडिका की डोली सिवाई गांव से एक भव्य शोभा यात्रा के रूप में चंडिका मंदिर लाई गई। मंदिर परिसर में पारंपरिक विधि-विधान से देवी की पूजा-अर्चना की गई, जिसके साथ इस साल की यात्रा का विधिवत शुभारंभ हुआ।
मंदिर समिति के अध्यक्ष दीलवर सिंह चौहान और सचिव ईश्वर सिंह बिष्ट ने जानकारी दी कि यात्रा की शुरुआत से पहले देवी को ‘मायादेवता’ स्वरूप में शोभायात्रा के रूप में निकाला जाता है। इस शोभायात्रा की विशेषता यह है कि स्थानीय किशोरियाँ देवी की भूमिका निभाती हैं, जिन्हें “देवी स्वरूपा” माना जाता है। यह परंपरा ग्रामीण आस्था और सांस्कृतिक पहचान का जीवंत उदाहरण है।
इस वर्ष की देवरा यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। यात्रा के दौरान देवी की डोली 27 गांवों का भ्रमण करेगी और फिर मूल मंदिर में वापस लौटेगी।
यह यात्रा न केवल धार्मिक भावना को सशक्त करती है, बल्कि क्षेत्रीय एकता और सांस्कृतिक विरासत को भी मजबूत करती है।
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