उत्तराखंड के अंतिम भारतीय गांव माणा में स्थित घंटाकर्ण महावीर मंदिर के कपाट आज आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ विधिवत रूप से खोल दिए गए। इस शुभ अवसर पर पारंपरिक धार्मिक रीति-रिवाजों और उत्सवमय वातावरण के बीच तीन दिवसीय जैठ पूजा महोत्सव की भी शुरुआत हो गई।
कपाट खोलने की प्रक्रिया प्रातः 9 बजे भगवान विश्वकर्मा मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ आरंभ हुई। इसके पश्चात, भगवान श्री घंटाकर्ण महावीर की प्रतिमा को विशेष अनुष्ठानों के साथ पुराने मंदिर से उठाकर माणा गांव स्थित मुख्य मंदिर में स्थापित किया गया।
मंदिर प्रांगण में माहौल भक्तिमय बना रहा, जहां महिला मंगल दल की ओर से भजन प्रस्तुति और पारंपरिक लोक नृत्य से वातावरण गुंजायमान हो उठा। श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति ने समारोह को और भी भव्य बना दिया।
जैठ पूजा महोत्सव के अंतर्गत आगामी सोमवार को विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जाएगी। वहीं, मंगलवार 17 जून को महोत्सव के समापन पर ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगिताएं और एक भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ क्षेत्रीय प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया जाएगा।
घंटाकर्ण महावीर मंदिर श्रद्धा और आस्था का केंद्र है, सीमांत क्षेत्र के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है, बल्कि माणा गांव की जीवंत लोक संस्कृति को भी उजागर करता है।
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