बदरीनाथ धाम के कपाट आज रात 9 बजकर 7 मिनट पर शीतकाल हेतु बंद कर दिए गए। इस मौके पर हजार की संख्या में श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ के दर्शन किए। कपाट बंद होने के दौरान धाम जय बदरीविशाल के उद्घोष से गूंज उठा। बदरीनाथ मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है।बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही इस वर्ष के लिए चारधाम यात्रा का संपन्न हो गई है।
शीतकाल हेतु भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होने की प्रक्रिया में रावल अमरनाथ नंबूदरी स्त्री भेष धारणकर माता लक्ष्मी को बदरीनाथ मंदिर गर्भ-गृह में विराजमान किया। इससे पूर्व उद्धव एवं कुबेर उत्सव विग्रह मंदिर परिसर में लाया गया।
रात सवा 8 बजे से कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हुई। घृत कंबल ओढ़ाने के बाद निर्धारित समय रात 9 बजकर 7 मिनट पर बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद किये गए।। जिसके पश्चात 18 नवंबर प्रात: उद्धव एवं कुबेर उत्सव विग्रह आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी के साथ योग बदरी पांडुकेश्वर को प्रस्थान करेंगे।
बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने के कार्यक्रम के तहत आज ब्रह्ममुहुर्त 4 बजे मंदिर दर्शन और पूजा अर्चना के लिए खोला गया। जिसके बाद प्रतिदिन की भांति अभिषेक पूजा व अन्य पूजाएं की। कपाट बंद होने के दिन मंदिर में पूरे दिन दर्शन की परंपरा का निर्वहन हुआ।
सायं 6 बजकर 45 मिनट पर सायंकालीन पूजा शुरू हुई। शाम 8 बजकर 10 मिनट पर शयन आरती हुई तथा इसके बाद कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू की गयी। रात्रि 9 बजे तक भगवान बदरी विशाल को माणा महिला मंडल की ओर से तैयार किया घृत कंबल ओढ़ाया गया। जिसके बाद ठीक 9 बजकर 07 मिनट पर शुभ मुहूर्त में भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल हेतु बंद किए गए।