प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। उत्तराखंड के प्रत्येक जनपद में गुरूकुल पद्धति पर आधारित संस्कृत विद्यालय खोले जाएंगे। यह निर्णय आज प्रदेश के संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में उनके शासकीय आवास पर हुई समीक्षा बैठक में लिया गया।
बैठक में डॉ. रावत ने निर्देश दिया कि संस्कृत विभाग ठोस प्रस्ताव तैयार कर शासन को प्रस्तुत करे, ताकि विद्यालयों की स्थापना में कोई देरी न हो। साथ ही दूरस्थ व पिछड़े क्षेत्रों में आश्रम पद्धति के अनुरूप आवासीय संस्कृत विद्यालय भी खोले जाएंगे, जिससे विद्यार्थियों को गुणवत्तापरक शिक्षा मिल सके।
संविधानिक व प्रशासनिक बदलावों की तैयारी
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि संस्कृत महाविद्यालयों के सही वर्गीकरण के लिए अधिनियम-2023 में संशोधन किया जाएगा। साथ ही विभाग के प्रशासनिक संवर्ग की नियमावली-2024 को अद्यतन कर 2011 की तर्ज पर तैयार किया जाएगा। इससे शिक्षकों की पदोन्नति में तेजी लाई जा सकेगी।
जिलों में कार्यरत सहायक निदेशकों को वित्तीय अधिकार दिए जाने की प्रक्रिया भी तेज की जाएगी। इसके लिए वित्त और कार्मिक विभाग को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
भूमि पर अवैध कब्जे हटाने के निर्देश
डॉ. रावत ने देहरादून के ब्रह्मखाला (सहस्त्रधारा रोड) स्थित संस्कृत शिक्षा के लिए आवंटित भूमि को कब्जाधारियों से मुक्त कराने के लिए जिलाधिकारी को दूरभाष पर निर्देशित किया।
इन मुद्दे पर हुई चर्चा
बैठक में संस्कृत विश्वविद्यालय में कुलसचिव की नियुक्ति, प्रस्तावित बी.एड. पाठ्यक्रम व परीक्षा भवन के निर्माण, और अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के मानदेय वृद्धि जैसे मुद्दों पर भी गहन चर्चा की गई।
ये अधिकारी रहे उपस्थित
बैठक में सचिव संस्कृत शिक्षा दीपक गैरोला, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री, अपर सचिव कार्मिक एल.एम. रयाल, अपर सचिव वित्त गंगा प्रसाद, निदेशक संस्कृत शिक्षा डॉ. आनंद भारद्वाज, मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून विनोद ढौंडियाल, सहायक निदेशक सी.पी. घिल्डियाल, उप सचिव बी.पी. नौटियाल, अनु सचिव गीता शरद समेत अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।
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