मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में वन विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक ली। प्रदेश में बढ़ते मानव–वन्यजीव संघर्ष को गंभीर चिंता का विषय बताते हुए मुख्यमंत्री ने विभाग और जिला प्रशासन को और अधिक जिम्मेदारी और तत्परता से काम करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि संघर्ष की किसी भी घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम 30 मिनट के भीतर मौके पर पहुंचनी चाहिए। इसके लिए संबंधित डीएफओ और आरओ की जवाबदेही तय की जाएगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता तुरंत उपलब्ध कराई जाए।
पौड़ी के डीएफओ को तत्काल हटाने के निर्देश
पौड़ी जनपद में लगातार बढ़ रही मानव–वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री ने वहां के डीएफओ को तुरंत प्रभाव से हटाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्रों में जहां जंगली जानवरों का खतरा अधिक है, वहां स्कूली बच्चों के लिए वन विभाग और जिला प्रशासन द्वारा एस्कॉर्ट व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
आजीविका सुरक्षा नीति दो सप्ताह में तैयार करने का आदेश
मुठभेड़ की घटनाओं में यदि किसी परिवार के कमाऊ सदस्य की मृत्यु होती है, तो परिवार को आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री ने वन विभाग को दो सप्ताह के भीतर आजीविका सहयोग की नीति प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
इसके साथ ही संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति तुरंत की जाने की बात कही गई।
नई तकनीक और सतर्क निगरानी पर जोर
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि लोगों का जीवन सुरक्षित रखना सरकार की पहली प्राथमिकता है। वन्यजीवों की आबादी क्षेत्रों में आवाजाही रोकने के लिए दीर्घकालिक और स्थायी समाधान विकसित किए जाएं।
साथ ही वन्य-संवेदनशील क्षेत्रों में
- कैमरों से निरंतर निगरानी,
- ग्रामीणों के साथ संवाद मजबूत करने,
- और बस्तियों के आसपास की झाड़ियों को विशेष अभियान चलाकर साफ करने के निर्देश दिए।
उन्होंने विशेषकर महिलाओं और बच्चों को वन्यजीवों की गतिविधियों और सतर्कता के प्रति जागरूक करने पर बल दिया।
बैठक में वन मंत्री सुबोध उनियाल, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव शैलेश बगौली, विनय शंकर पांडेय, सी. रविशंकर, प्रमुख वन संरक्षक रंजन मिश्रा और अपर सचिव हिमांशु खुराना सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
