देहरादून भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में शनिवार को 156वीं पासिंग आउट परेड का भव्य आयोजन हुआ। इस गरिमामयी समारोह की समीक्षा श्रीलंका के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल लासांथा रोड्रिगो ने की। उन्होंने देश-विदेश से आए कुल 483 ऑफिसर कैडेट्स को उनके सैन्य प्रशिक्षण की सफलता पर बधाई दी और अनुशासन, परिश्रम व समर्पण के लिए प्रशिक्षकों की भी प्रशंसा की।
इस अवसर पर 156वें नियमित पाठ्यक्रम, 45वें तकनीकी प्रवेश योजना (टीईएस), 139वें तकनीकी स्नातक पाठ्यक्रम और एससीओ-54 से कुल 451 भारतीय कैडेट्स और 9 मित्र राष्ट्रों ( नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव आदि) से आए 32 विदेशी कैडेट्स ने सम्मानपूर्वक आईएमए से विदाई ली। परेड में ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’ और ‘सारे जहाँ से अच्छा’ की धुन पर अनुशासित मार्च ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
लेफ्टिनेंट जनरल लासांथा रोड्रिगो ने आईएमए के पूर्व छात्र होने पर जताया गर्व
परेड को संबोधित करते हुए जनरल रोड्रिगो ने कहा कि आईएमए में आकर उन्हें अपनी सैन्य यात्रा की शुरुआत की याद ताजा हो गई। उन्होंने वर्दी को सिर्फ रैंक नहीं, बल्कि एक जीवनशैली बताया और कहा कि सम्मान रैंक से नहीं, हर दिन के कर्म से कमाया जाता है। उन्होंने तीन प्रमुख जिम्मेदारियां राष्ट्र, सैनिकों और वीर जवानों के परिवारों के प्रति सच्ची निष्ठा बनाए रखने पर बल दिया।
सम्मानित हुए उत्कृष्ट कैडेट्स
- स्वॉर्ड ऑफ ऑनर: एकेडमी कैडेट एडजुटेंट अन्नी नेहरा
- गोल्ड मेडल (प्रथम स्थान): एकेडमी अंडर ऑफिसर रोनित रंजन नायक
- सिल्वर मेडल (द्वितीय स्थान): अन्नी नेहरा
- ब्रॉन्ज मेडल (तृतीय स्थान): बटालियन अंडर ऑफिसर अनुराग वर्मा
- तकनीकी स्नातक कोर्स में प्रथम: सार्जेंट आकाश भदौरिया
- TES-45 में प्रथम स्थान: विंग कैडेट क्वार्टर मास्टर कपिल
- विदेशी कैडेट में प्रथम: निशान बलामी (नेपाल)
- चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बैनर: केरन कंपनी
कैडेट्स को दिया गया राष्ट्र सेवा का मंत्र
अपने समापन उद्बोधन में जनरल रोड्रिगो ने कहा कि आईएमए से पास आउट होना सिर्फ एक उपलब्धि नहीं, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा की बड़ी ज़िम्मेदारी है। उन्होंने सभी कैडेट्स को प्रेरित करते हुए कहा आप एक ऐसा बंधन जोड़ने जा रहे हैं जो जीवन भर साथ रहेगा। भारतीय सेना की वीर परंपरा का हिस्सा बनने का यह क्षण ऐतिहासिक है। उन्होंने फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के शब्दों को दोहराया सच्चे, ईमानदार, निर्भीक बनो।
परेड का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसमें सभी दर्शकों की आंखों में गर्व और भावुकता के भाव स्पष्ट थे। यह दिन आईएमए के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय के रूप में अंकित हो गया।